शबनम एक दुखद कहानी के माध्यम से प्रामाणिकता और नैतिकता की महत्वपूर्ण सिखें

shabnam

शबनम shabnam कि दिल दहलादेने वाली कहानी। नमस्कार, आपका भाई और समाचार पत्रिका का लेखक शुभम शर्मा फिर हाजिर हु आपके सामने एक नयी कहानी लेकर।

एक हस्ता खेलता परिवार

कहानी है उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के भावनखेड़ी की। भावनखेड़ी में एक हस्ता खेलता परिवार रहता था।

जिसमे माता पिता एक बेटी और दो भाई थे। पिता पेशे से अध्यापक थे।

शबनम (shabnam) खुद भी पढ़ी लिखी थी, उसने पोस्ट ग्रेजुएशन किया हुआ था। कॉलेज के बाद वो खुद एक स्कूल में अंग्रेजी की अध्यापिका बनी और बच्चो को पढ़ने लगी।

शबनम (Shabnam) का प्रेम प्रसंग

स्कूल में पढ़ने के दौरान शबनम (shabnam) को गाँव के ही सलीम से प्यार हो गया। सलीम एक गरीब घर से तलूक रखता था। जब शबनम के घरवालो की इस बात की जानकारी मिली तो वो लोग इस रिश्ते के खिलाफ हो गए। दोनों ने घरवालों की बात को ना मानते हुए अपने रिश्ते को ज़ारी रखा। यही सोच के, की क्या पता घरवाले इनके प्यार को समझे और शादी को हां कर दे।

हसनपुर पुलिस को इतलाह

फिर आई 14 अप्रैल 2008 की वो तारीख जिसे भावनखेड़ी के साथ साथ पुरे भारत को हिला दिया। 14 अप्रैल की रात को हसनपुर पुलिस को इतलाह मिलीं कि एक घर में काफी शव है। पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा की घर में 7 लाशे है।

पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज के तफतीश जारी कर दी। घर में सिर्फ एक ही जिन्दा शख्स बची थी और वो थीं शबनम।

Shabnam के घर में लाशो का ढेर

ये 7 लाशे कोई और नहीं शबनम (shabnam) के पिता,माता,दो भाई,एक भाभी, एक भतीजा और एक मौसी की बेटी थी। भतीजे की उम्र अभी सिर्फ 7 महीने थी। पहली नजर में दिख रहा था के सभी को किसी धारदार हथियार से मारा था।

घर में इकलौती बची शबनम बेइंतिहा रो रही थी। घर में और आसपास लोगो का जमावड़ा लगा हुआ था।

शुरुवाती पूछताछ में शबनम (shabnam) ने बताया के कुछ लोग घर में छत से दाखिल हुए और कुल्हाड़ी से सब को मार दिया। खबर छेत्र में आग की तरह फ़ैल गयी। लोगो ने पुलिस और सर्कार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया और सड़को पर उतर आये। उस समय उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थी मायावती। इस केस पर एक नए अफसर R P Gupta की तैनाती की। गुप्ता जी ने देखा के शबनम इस समय बात करने की हालत में नहीं है तो उन्होंने बहार के लोगो से पूछताछ का रुख किया।

पोस्टमार्टम की रिपोर्ट

इस केस पर आये नए अफसर ने जब पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पढ़ी तो उनको पहली बार कुछ शक हुआ। क्युकी रिपोर्ट में जहर की पुस्टि हुई थी। उनको लगा के कोई बाहरी व्यक्ति जहर कैसे दे सकता है। उन 7 लोगो में से किसी ने भी विरोध नहीं किया था। जिसका मतलब होता है के कुल्हाड़ी से मरने से पहले ही वो लोग मर चुके थे। गुप्ता जी का शक यकीं में बदल गया के इस में जरूर शबनम का ही हाथ है। इन सब के बाद उन्होंने शबनम की कॉल डिटेल निकली तो देखा की शबनम की एक सलीम नामक व्यक्ति से रोजाना बात होती है। जो समय पोस्टमार्टम के हिसाब से क़त्ल का उससे 5 मिनट पहले भी और 10 मिनट बाद भी।

शबनम के शुरुवात में बयान दिया था के वो लोग छत के रस्ते घर में दाखिल हुए थे मगर वह पे पुलिस को कोई भी ऐसा साक्ष्ये नहीं मिले। छत की उच्चाई भी 14 फुट थी। छत पर चढ़ने के लिए बास एक ही मार्ग था वो भी पाइप का मगर उससे भी कोई नहीं आ सकता था क्युकी वो बहोत ही हल्का था। पड़ोसियों ने भी बयां दिया था के घर में दाखिल होते वक़्त घर का दरवाजा अंडर से बंद था और जीने का भी।

सलीम की गिरफ़्तारी

इंवेस्टिगेटिंग अफसर गुप्ता जी ने सबसे पहले सलीम को उठाया और उससे पूछताछ की।

पहले तो वो इधर उधर की बाटे कर के पुलिस को गुमराह करता रहा।

जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती से पूछताछ की तो सलीम टूट गया और सच्चाई बयान करने लगा।

सलीम के बयांन के मुताबिक शबनम ने ही घरवालो को रत के खाने के बाद चाय में जेहेर दिया था।

मैंने ही शबनम को जेहेर लाकर दिया था। भतीजे ने चाय नहीं पी थी तो उसको गाला घोटकर मारा था।

सबके मरने के बाद शबनम ने मुझे घर के अंदर बुलाया और मने सबको कुल्हाड़ी से काटा।

मेरे जाने के 5 मिनट बाद वो चिल्लाई जिससे मोहल्ले वाले इकट्ठे हुए और पुलिस को इतलाह दी।

शबनम की गिरफ़्तारी

सलीम के बायां के बाद अब पुलिस शबनम को भी उठा लाई।

पहले तो वो भी ना नुकार करती रही। जब उसे सलीम का इकरार जुर्म की दास्ताँ बताई तो वो भी सच्चाई ब्यान कर दी। शबनम ने बताया की घरवाले शादी के लिए मान नहीं रहे थे और वो 7 महीने की गर्भवती थी।

उसने ही सलीम के साथ मिल के इस काम को अंजाम दिया था।

मामला कोर्ट में आने के बाद लोअर कोर्ट ने सलीम और शबनम को फांसी की सजा सुना दी।

दोनों ने हाई कोर्ट में अपील की मगर उन्होंने भी लोअर कोर्ट का फैसला जारी रखा।

इसके बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया मगर वह पर भी कुछ नहीं हुआ।

मई 2015 में उनकी अपील को ठुकरा के सुप्रीम कोर्ट ने डेथ वार्रेंट निकल दिया।

उस समय के प्रेसीडेंट रहे प्रणब मुखर्जी को भी मर्सी पेटिशन दी मगर उन्होंने भी इसे मैंने से इंकार कर दिया।

Shabnam कि कहानी से हमें कुछ महत्वपूर्ण सिख मिल सकती है:

परिवार का महत्व:

कहानी दिखाती है कि परिवार का क्या महत्व होता है। परिवार हमारे जीवन में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है,

और परिवार के सदस्यों के साथ समझदारी और सहयोग बनाए रखना हमारे जीवन में खुशियों को बढ़ावा देता है।

प्रेम की समझदारी:

कहानी से हम प्रेम की समझदारी और संविदानशीलता के महत्व को सीख सकते हैं।

प्रेम में विश्वास और समर्पण होना चाहिए, लेकिन हमें कभी भी गलत या अनैतिक कार्यों में संलग्न नहीं होना चाहिए।

नैतिक मूल्यों का पालन:

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें हमेशा नैतिक मूल्यों का पालन करना चाहिए, चाहे कुछ भी हो।

नैतिकता और समझदारी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

सामाजिक परिवर्तन:

कहानी से हम समाज में होने वाले परिवर्तन को समझ सकते हैं।

समाज में बदलाव होता है, और हमें उस परिवर्तन के साथ साथ चलने की तैयारी करनी चाहिए।

न्याय की महत्वा:

कहानी से हमें न्याय और इंसाफ की महत्व को भी दिखाता है।

न्याय व्यवस्था को भरोसा और समर्थन देना हमारे समाज के लिए महत्वपूर्ण है।

नैतिक संवेदनशीलता:

इस कहानी में, नैतिक संवेदनशीलता और सावधानी के बिना एक खतरनाक परिस्थिति को रोकना संभव नहीं था।

यह हमें सिखाता है कि हमेशा सहायता और सुरक्षा के लिए सचेत रहना चाहिए।

इन सभी मूल्यों का पालन करके, हम एक समझदार, सामाजिक रूप से जिम्मेदार और नैतिक तौर पर सही राह पर चलने में मदद कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *